वन्देमातरम जय हिन्द

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गुरुवार, 30 जून 2011

अकाल और उसके बाद : बाबा नागार्जुन के जन्म दिवस पर विशेष



अकाल और उसके बाद

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ।


दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद            
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ।

                                                                 नागार्जुन              


*  बाबा नागार्जुन के जन्म दिवस पर विशेष 

14 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

रेखा जी ,आपने बाबा नागार्जुन जी की बेहतरीन कविता से अवगत कराया,इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.

Udan Tashtari ने कहा…

बाबा के जन्म दिन पर इस रचना के लिए आभार.

सदा ने कहा…

इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

Bharat Bhushan ने कहा…

कविता की सादगी इसकी शक्ति है. नागा बाबा की कविता पढ़वाने के लिए आभार.

virendra sharma ने कहा…

बाबा की बेहतरीन रचना सुनवाई आपने .शुक्रिया .

sm ने कहा…

beautiful
realistic poem

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

बैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन'जी की जयंती पर उनका श्रधयुक्त स्मरण उपयुक्त रहा.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बाबा की रचानों पर क्या टिपण्णी करूँ उन्हें पढना ही बहत बड़ा सौभाग्य है...शुक्रिया हम तक पहुँचाने के लिए

नीरज

virendra sharma ने कहा…

आज ये रचना उतनी ही ताज़ी लगी जितनी कल लगी थी ,परसों ....

संजय भास्‍कर ने कहा…

नागार्जुन बाबा की बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए आभार.....

संजय भास्‍कर ने कहा…

रेखा जी
नमस्कार !
करीब 20 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

Arunesh c dave ने कहा…

बाबा नागार्जुन को याद करवाने के लिये धन्यवाद

Unknown ने कहा…

Bahut hi acchhi jagah hum pahunche.. jahan acchhi-acchhi rachnayein milne ki guarantee hai.. Bahut sundar blog hai.. Aabhar...

Unknown ने कहा…

Very nice, it was there in 10th std poem.