वन्देमातरम जय हिन्द

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बुधवार, 26 अक्टूबर 2011

दीपावली की शुभकामनाएँ




जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल,
उड़े मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले,
लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,
निशा की गली में तिमिर राह भूले,
खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग,
ऊषा जा न पाए, निशा आ ना पाए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
सृजन है अधूरा अगर विश्‍व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,
भले ही दिवाली यहाँ रोज आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में,
नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा,
उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के,
नहीं कर सकेंगे ह्रदय में उजेरा,
कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब,
स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।

यह गोपाल दास "नीरज" द्वारा रचित है और हम सबने ही पढ़ी है . आज के शुभ अवसर  पर इस कविता के भाव को भी समझना प्रासंगिक है . आप सभी को दीपावली की शुभकामनाये .

16 टिप्‍पणियां:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

Rohit Singh ने कहा…

दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं....

Sunil Kumar ने कहा…

दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं...

Atul Shrivastava ने कहा…

सुंदर प्रस्‍तुति।
दीप पर्व की आपको और आपके परिवार को शुभकामनाएं...

अभिषेक मिश्र ने कहा…

सार्थक रचना का चयन किया है आपने.

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

सुंदर प्रस्‍तुति।

*दीवाली *गोवर्धनपूजा *भाईदूज *बधाइयां ! मंगलकामनाएं !

ईश्वर ; आपको तथा आपके परिवारजनों को ,तथा मित्रों को ढेर सारी खुशियाँ दे.

माता लक्ष्मी , आपको धन-धान्य से खुश रखे .

यही मंगलकामना मैं और मेरा परिवार आपके लिए करता है

mridula pradhan ने कहा…

bahot achche.....

संजय भास्‍कर ने कहा…

..सुंदर प्रस्‍तुति।
आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें......!

संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Maheshwari kaneri ने कहा…

सुन्दर सार्थक प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

गोपाल दास नीरज जी का प्रेरक गीत बहुत अच्छा लगा।
प्रस्तुत करने के लिए आभार।
शुभ दीपावली।

कुमार राधारमण ने कहा…

नीरज के लिखे पर टिप्पणी के लिए मैं बहुत छोटा हूं।

virendra sharma ने कहा…

आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए .नीरज जी को पढ़ना हमेशा ही भाता है .

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

रेखा जी नीरज जी की यह रचना मन को छू जाती है बहुत सुन्दर संकलन आप का -दीवाली की विलंबित शुभ कामनाएं
भ्रमर ५

Udan Tashtari ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं !

Bhola-Krishna ने कहा…

रेखा बेटी , आँखों की कमजोरी के कारण ब्लोगर बंधुओं के अधिक ब्लॉग नहीं पढ़ पाता हूँ ! दीपावली के शुभ अवसर पर प्रेषित आपका यह ब्लॉग आज पढ़ रहा हूँ ! नीरज जी की यह भाव भरी रचना हम तक पहुचाने के किये बहुत धन्यवाद !
५० के दशक में कानपूर में नीरज जी के दर्शन का सौभाग्य मिलता था !अभी कहाँ हैं ?चंदौसी में अथवा अन्यत्र कहीं ? ब्लॉग में यदि "कवि" के कुछ समाचार दें तो अच्छा होगा ! आशीर्वाद !श्री राम कृपा से सदा सुखी रहें !

Madan Mohan Saxena ने कहा…

वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..