अकाल और उसके बाद
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ।
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ।
नागार्जुन
* बाबा नागार्जुन के जन्म दिवस पर विशेष
14 टिप्पणियां:
रेखा जी ,आपने बाबा नागार्जुन जी की बेहतरीन कविता से अवगत कराया,इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.
बाबा के जन्म दिन पर इस रचना के लिए आभार.
इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
कविता की सादगी इसकी शक्ति है. नागा बाबा की कविता पढ़वाने के लिए आभार.
बाबा की बेहतरीन रचना सुनवाई आपने .शुक्रिया .
beautiful
realistic poem
बैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन'जी की जयंती पर उनका श्रधयुक्त स्मरण उपयुक्त रहा.
बाबा की रचानों पर क्या टिपण्णी करूँ उन्हें पढना ही बहत बड़ा सौभाग्य है...शुक्रिया हम तक पहुँचाने के लिए
नीरज
आज ये रचना उतनी ही ताज़ी लगी जितनी कल लगी थी ,परसों ....
नागार्जुन बाबा की बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए आभार.....
रेखा जी
नमस्कार !
करीब 20 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
बाबा नागार्जुन को याद करवाने के लिये धन्यवाद
Bahut hi acchhi jagah hum pahunche.. jahan acchhi-acchhi rachnayein milne ki guarantee hai.. Bahut sundar blog hai.. Aabhar...
Very nice, it was there in 10th std poem.
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