गुरु ब्रह्म गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताए।।बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।बंदउ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।
अमिय मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू।।१।।
सुकृति संभु तन बिमल बिभूती। मंजुल मंगल मोद प्रसूती।।
जन मन मंजु मुकुर मल हरनी। किएँ तिलक गुन गन बस करनी।।२।।
श्रीगुर पद नख मनि गन जोती। सुमिरत दिब्य द्रृष्टि हियँ होती।।
दलन मोह तम सो सप्रकासू। बड़े भाग उर आवइ जासू।।३।।
उघरहिं बिमल बिलोचन ही के। मिटहिं दोष दुख भव रजनी के।।
सूझहिं राम चरित मनि मानिक। गुपुत प्रगट जहँ जो जेहि खानिक।।४।।
जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान।
कौतुक देखत सैल बन भूतल भूरि निधान।।
गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन। नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन।।
तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन। बरनउँ राम चरित भव मोचन।।१।।
बंदउँ प्रथम महीसुर चरना। मोह जनित संसय सब हरना।।
सुजन समाज सकल गुन खानी। करउँ प्रनाम सप्रेम सुबानी।।२।।
साधु चरित सुभ चरित कपासू। निरस बिसद गुनमय फल जासू।।
जो सहि दुख परछिद्र दुरावा। बंदनीय जेहिं जग जस पावा।।३।।
मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथराजू।।
राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा। सरसइ ब्रह्म बिचार प्रचारा।।४।।
बिधि निषेधमय कलि मल हरनी। करम कथा रबिनंदनि बरनी।।
हरि हर कथा बिराजति बेनी। सुनत सकल मुद मंगल देनी।।५।।
बटु बिस्वास अचल निज धरमा। तीरथराज समाज सुकरमा।।
सबहिं सुलभ सब दिन सब देसा। सेवत सादर समन कलेसा।।६।।
अकथ अलौकिक तीरथराऊ। देइ सद्य फल प्रगट प्रभाऊ।।७।।
गुरु पूर्णिमा पर विशेष . गुरु से सम्बंधित इन सभी पंक्तीयों में से एक न एक हम सभी ने जरुर सुनी ही होगी.
22 टिप्पणियां:
आदरणीया रेखा जी
सादर अभिवादन !
आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है । विविधरंगी प्रविष्टियां सराहनीय हैं ।
गुरूपूर्णिमा के अवसर पर आपने बहुत अच्छी पोस्ट लगाई … आभार !
समयाभाव के कारण इस बार मैं इस अवसर के लिए विशेष पोस्ट नहीं लगा पाया …
समय मिले तो आप मेरी गत वर्ष की पोस्ट अवश्य देखें और रचनाएं सुनें भी …
निम्न लिंक पर -
गोविंद से गुरु है बड़ा
एक बार पुनः गुरुजनों के स्मरण के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
उद्धरण अच्छे हैं.
बहुत सुन्दर पद...
गुरूपूर्णिमा पर शुभकामनाएं.
बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त किया है आपने भावों को इसमें ...गुरूपूर्णिमा के इस अवसर आपको शुभकामनाएं ..प्रस्तुति के लिये आभार ।
अच्छी प्रस्तुती...
आपकी वज़ह से हमें भी दुबारा पढ़ना पड़ा ! अच्छा है !
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा ऐसे में जो रचनाएं नहीं पढ़ी होंगी वो पढ़ने को मिलेंगी
रेखा. मैं तुम्हारी मम्मी की ही तरह हूँ तुम्हें भी मेरी बहुत सारी शुभकामनायँ...मुझे तुम्हारा ब्लांग बहुत अच्छा लगा..मेरे ब्लांग में आने के लिए धन्यवाद..
आदरणीय बहन रेखा जी,
बहुत अच्छी पोस्ट
आभार
गुरु पूर्णिमा पर बहुत अच्छा चयन और संकलन।
गुरुओं को नमन ।
बहुत बढ़िया.
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कल 20/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
भक्तिमय प्रस्तुति .सुंदर संकलन.
उत्तम विचार ...
सुंदर संकलन ...
गुरु नमन ...
रेखा झा जी अभिवादन गुरु पूर्णिमा पर गुरु की महत्ता बता याद दिला सुन्दर सन्देश धन्यवाद
जो सहि दुख परछिद्र दुरावा। बंदनीय जेहिं जग जस पावा।।३।।
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
nice post
no one can take the place of Guru.
कमेंट की डोर पकड़ कर यहाँ तक आया. पिछले दिनों पूरा चाँद दिखा तो था लेकिन यह न पता था कि वह रात गुरू पूर्णिमा की रात है.यहाँ प्राकृतिक सा वातावरण है.
हर शिष्य भी इतना भाग्यशाली नहीं होता कि उसे गुरू सहज उपलब्ध हो। और अगर हो,तो क्यों न गुणगान किया जाए।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ....गुरु का स्मरण वंदन सदैव ही हितकारी है .
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सुंदर संकलन....बहुत बहुत बधाई हो ...
गुरु की महिमा इसी लिए है कि वह वास्तव का पता देता है. बढि़या पोस्ट. आभार आपका.
बहुत बहुत आभार आपने गुरु के बारे में लिखा क्योंकि बिना गुरु ज्ञान नहीं मिल सकता है. हम जैसे ही इस दुनिया में आते है तो सबसे पहले हमें हमारी माता जी बोलना सिखाती है. तो वो भी तो एक गुरु है. जबतक कोई बच्चे को क्या करना है नहीं बताते तब तक बच्चा नहीं सिख सकता. इसीलिए कहते है की बिन गुरु ज्ञान नहीं - शुक्रिया
मैंने भी एक गुरु को नमन करते हुए छोटा सा अपने तरीके से लेख लिखा है- http://bantinihal.blogspot.com/2011/07/blog-post_13.html
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