tag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post906099577666163678..comments2023-07-28T17:01:55.467+05:30Comments on मैंने पढ़ी है: यह कदंब का पेड़रेखाhttp://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-14892558208329392182014-10-01T21:21:25.169+05:302014-10-01T21:21:25.169+05:30रेखा जी आपने बचपन की याद दिला दिया रेखा जी आपने बचपन की याद दिला दिया रण बहादुर सिंहnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-87376550152992187942011-09-11T14:40:56.628+05:302011-09-11T14:40:56.628+05:30इस कविता के एक एक लाइन को मैंने बचपन में सजीव किया...इस कविता के एक एक लाइन को मैंने बचपन में सजीव किया है..मम्मी ठीक ऐसे ही मुझे मानती थी<br />फर्क इतना है की मेरे घर के सामने कदम्ब का नहीं आम का पेड़ है.<br /><br />और इस कविता को पढ़ने के बाद ही मैंने ये सारे नाटक किये थे. पर मुझे तब नहीं पता था मम्मी ने मुझे इस कविता को पढ़ते हुए सुन रखा था.Manoranjan Manu Shrivastavhttps://www.blogger.com/profile/10888973823530693439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-77862839179635543892011-07-13T19:31:24.982+05:302011-07-13T19:31:24.982+05:30वाह भक्ति भाव से मन को भर दिया आपने वाकई बहुत ही स...वाह भक्ति भाव से मन को भर दिया आपने वाकई बहुत ही सुंदर और सहज रूप से कविता लिखी हैArunesh c davehttps://www.blogger.com/profile/15937198978776148264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-15627177711184357912011-07-13T18:48:55.205+05:302011-07-13T18:48:55.205+05:30लगा सूरदास का कोई पद पढ़ रहा हूँ -मैया मोहे दाऊ बहु...लगा सूरदास का कोई पद पढ़ रहा हूँ -मैया मोहे दाऊ बहुत खिजायो ,मौसे कहत मोल को लीन्हों ,तू जसुमत कब जायो .सुभद्रा कुमारी चौहान की बहुत मीठी मीठी लोरी सी बाल मनोविज्ञान को रूप आकार देती बंशी की टेर सी ये रचना देर तक गुंजन करती है पढने के बाद भी -यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता जमुना तीरे ,मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे -धीरे .आभार आपका इस की पढवाई के लिए .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-56933824621946465352011-07-13T11:09:32.843+05:302011-07-13T11:09:32.843+05:30bahut-bahut dhanywad......is pyari kavita ko yaad ...bahut-bahut dhanywad......is pyari kavita ko yaad dilakar.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-7488372508348420152011-07-10T18:00:50.887+05:302011-07-10T18:00:50.887+05:30बहुत ही बढ़िया रचनाबहुत ही बढ़िया रचनाsmshindi By Sonuhttps://www.blogger.com/profile/02157490730225902218noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-34741289308668370922011-07-10T18:00:08.669+05:302011-07-10T18:00:08.669+05:30कविता पढकर निर्मल आनंद की अनुभूति हुई|कविता पढकर निर्मल आनंद की अनुभूति हुई|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-3350280543786163312011-07-09T20:49:01.322+05:302011-07-09T20:49:01.322+05:30काश! आपकी आवाज में यह कविता सुनने को मिलती तो और भ...काश! आपकी आवाज में यह कविता सुनने को मिलती तो और भी आनंद आता.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-17402852107966044692011-07-09T20:46:50.415+05:302011-07-09T20:46:50.415+05:30बहुत सुन्दर रचना की प्रस्तुति की है आपने.
मैंने इस...बहुत सुन्दर रचना की प्रस्तुति की है आपने.<br />मैंने इसे पहले कहीं नहीं पढा.<br />पढकर निर्मल आनंद की अनुभूति हुई.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-18346347249406457292011-07-09T19:10:35.046+05:302011-07-09T19:10:35.046+05:30यह कदंब का पेड़ अगर मां होता जमना तीरे
मैं भी उस ...यह कदंब का पेड़ अगर मां होता जमना तीरे<br /> मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे<br /> ले देती यदि मुझे तुम बांसुरी दो पैसे वाली<br /> किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली<br /> तुम्हें नहीं कुछ कहता, पर मैं चुपके चुपके आता<br /> उस नीची डाली से अम्मां ऊंचे पर चढ़ जाता<br /> वहीं बैठ फिर बड़े मज़े से मैं बांसुरी बजाता<br /> अम्मां-अम्मां कह बंसी के स्वरों में तुम्हें बुलाता<br /><br />अति सुंदर मनमोहक,सहज, सरल शब्दों के प्रयोग से सुंदर भावाभिव्यक्ति। बहुत अच्छी प्रस्तुति।Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-78246599334053227192011-07-09T16:08:52.227+05:302011-07-09T16:08:52.227+05:30कविता तो अच्छी है ही भाव भी अच्छे हैं.हमारे घर के ...कविता तो अच्छी है ही भाव भी अच्छे हैं.हमारे घर के पास एक-दो किलो मीटर के दायरे में बहुत से कदम्ब के वृक्ष हैं.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-57457092068493332092011-07-09T15:52:27.438+05:302011-07-09T15:52:27.438+05:30हर पैरे के साथ मानो अपना बचपन जीवंत होता जाता है। ...हर पैरे के साथ मानो अपना बचपन जीवंत होता जाता है। कालजयी रचना।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-24694686446872639592011-07-09T13:01:34.128+05:302011-07-09T13:01:34.128+05:30इस कविता का तो जवाब नहीं !इस कविता का तो जवाब नहीं !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4505435496657991812.post-74620337799645823892011-07-09T12:07:28.400+05:302011-07-09T12:07:28.400+05:30अनूठी रचना है...पुराने दिन याद हो आये...
नीरजअनूठी रचना है...पुराने दिन याद हो आये...<br /><br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com